अगली सुबह जब ठीक से सुबह भी नही हुआ था क्योंकि पूरे तरह अंधेरा ही थे वही औषधि जंगल के गहराई में उसी जगह युवराज त्रिजल और युवराज त्रिमय खड़े थे वो दोनो अपने गहरी चील वाली नजरों से चारो तरफ देख रहे थे वहां पर वो लोग उसकी प्रेजेंसी उसकी खुशबू को जैसे महसूस करना चाह रहे थे
युवराज त्रिमय चारो तरफ अपने गहरी नजरों से देखते उन छोटे - छोटे पैरो के निशान को अजीब तरफ़ से देखने लगा वो नीचे घुटनों के बाल बैठ उन पैरो के निशान पर अपने हाथ को फेरने लगा वैसे ही उसके आंखे बंद हो गए और उनके सांस तेज चलने लगे और एका एक उनके मुंह से शब्द एंजल ,,,,,,,, और उसके चेहरे पर खतरनाक मुस्कान खिली थी वो अपने आंखे खोल जो इस वक्त किसी ब्लैक डायमंड के तरह चमक रहे थे
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