चीलों के महल के एक आलीशान कामरा जहां पर हर एक चीज़ बेस्कीमत और सोने से बने हुए थे उस कमरे में जहां खिलाड़ी से आते चांद की रोशनी फैले हुई थी वहां युवराज त्रिजल खड़े बाहर उस अंधेरे फैले घने डरवाने जंगल को देख रहा था वही युवराज त्रिमय अपनी तलवार को हाथों में लिए एक तक देख रहा था
तभी वहां महाराज सूर्यवंसज के आने की घोषणा हुई पर उन दोनो ने कोई हरकत नहीं किया महाराज सूर्या वंशज वहां उन दोनो को देख गुस्से से चीखते हुए कहने लगे कहा थे आप दोनों युवराज,,,? हमने क्या कहा था आप दोनो से क्या आप को याद नही रहा युवराज,,,,
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