वैदेही जैसे - जैसे आगे बड़ रही थी वैसे - वैसे उसको वो जंगल खतरनाक और डरावना नजर आ रहा था वो जैसे गहरियो में जा रही थी वहां अंधेरा और सफ़ेद धुंध उठाते नजर आ रहे थे जंगली जानवरों को वो खतरनाक डरावनी आवाज वो खतरनाक लंबे मोटे पेड़ वो कंपते हुए संभाल कर आगे बड़ रही थी उसको ऐसा लगा रहा था जैसे इस जंगल से जिंदा वापस लौट ही नही सकती उसको मौत कभी भी किसी भी वक्त आ सकती है वो थूक निगलते आगे बड़ते हनुमान चालीस बुदबुदाने लगी
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर
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