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Chapter 3

कुछ वक्त बाद  राज कुमार  हर्ष , राजकुमार  प्रभात, राजकुमार अर्श ,राजकुमार वैभव ,राजकुमार अंश सभी उस काले  जंगल के कुछ दूरी पर खड़े उस जंगल को ही देख रहे   थे उन्होने  हर जगह जहां उनके होने को असंक थे उन्होंने वहां  पता लगाया था खुद जा कर या फिर अपने शक्तियों अपने गुफ्तचारों के माध्यम से  उन पांचों ने हर एक कोशिश की थी उन्हे ढूंढने   की पर कही से  भी उनका  छोटा सा  सुराग तक  उन्हे  हासिल नही  हुआ था अब बचा था तो सिर्फ  ये  मायावी जंगल जो बड़े से बड़े शैतान को  कुछ ही कदम अंदर जाने पर मौत के घाट उतार सकता था  वो सभी उस तरफ देख ही रहे  थे

राजकुमार हर्ष -  हमने  हर एक दिशा हर एक जगह उनके पता लगाने की कोशिश किया   चाहे वो  धरती हो   आमान या वो जल  हो  या अग्नि  पर कही से उनका कोई सुराग तक नही मिला हमें  अब बचा है सिर्फ ये मायावी जंगल ,,,,

राजकुमार प्रभात  - पर हर्ष ये जंगल कितना खतरनाक है हम सब जानते है   हमें उनके शक्तियों पर कोई शक नही पर इस जंगल में    हमें नही लगता वो होंगे क्योंकि  इतिहास  गवाह है ये जंगल कितना खतरनाक है

राजकुमार  अर्श -   उनके शक्तियों के आगे इस जंगल  का भी  कोई वजूद नहीं  है प्रभात  उनके आंखों में जो जुनून जो तलब जो जिद्द जो चाहता है    वही उन्हे सबसे खतरनाक बनाता   है हो ना हो वो यही ही है

  राजकुमार वैभव -  पर हम ये पता करेगें कैसे क्योंकि इस जंगल पर हमारी कोई भी शक्ति कम नहीं करता है  और इतने बड़े  जंगल में  हमने  अपने  शक्तियों के बिना  उनके तलास किया तो  लगभग दस वर्ष तो लग ही  जायेंगे वो तो छोड़ो कुछ  ही पल में मौत की नींद सो रहे होंगे

  राजकुमार अंश -  वैसा कुछ नही होगा वैभव अगर हम एक साथ रहेंगे तो यहां की कोई भी मायावी शक्ति हमारा कुछ नही बिगड़ सकता और अगर वो यहां  हैबतो उनके निशानियां जरूर मिलेंगे

 

राजकुमार हर्ष- हमारे पास अब वक्त नही  कुछ  पल में ही सूरज सर पर होगा ,,,, हमे कोशिश करना ही होगा

वो लोग अभी आगे बड़ते या कुछ करते की

वहां उस  जंगल से किसी के रोंगटे खड़े कर देने वाली चीखी सुनाई देने लगे   और देखते ही देखते  दो बड़े - बड़े  चील की परछाई नजर आने   लगे वो इतने बड़े थे की जिसकी कल्पना   ही हम कर सकते है

उस चीख और परछाई को देखते वो पांचों अपने सर उपर कर आसमान के तरफ देखे  जहां पर दो खतरनाक विशाल चील उनके तरफ आते नजर आ दे थे उन दोनों चील को देखते उन पांचों के चेहरे एक   डरावनी स्माइल खिली

  तभी वो चील बिलकुल उनके सामने आते इंसानी रूप में बदल गए

वैसे ही उन पांचों के मुंह से शब्द निकला युवराज त्रिजल ,,,,,, युवराज त्रिमय ,,,,,,,,,

वैसे ही सूरज जिस पर ध्यान   उन में किसी को नही रहा था  वो सर के ऊपर आ चुका था और वो  किरने सीधे युवराज  त्रिजल और युवराज त्रिमय के ऊपर  पड़े उसी के साथ उनका वो मस्कुलर   जिस्म अग्नि  के भाती कुछ - कुछ जगह  जलते हुए चमकने लगा

वैसे ही युवराज त्रिजल और युवराज त्रिमय अपने सर उपर कर आसमान के तरफ उस सूरज को देखने लगें

वही हर्ष , प्रभात, अर्श, वैभव , अंश के आंखे  हैरानी से फैल गए

वही   एक छोटे से कुटिया नुमा घर में एक लडकी एक छोटे से   खट में एक बहुत खुबसुरत लड़की सोए हुई थी वो इतने खुबसुरत थी जैसे कोई पारियों की रानी   हो  दुध सा गोरा रंग ,गोल  चेहरा ,बडी बडी वो नीली आंखे  परफेक्ट बॉडी परफेक्ट हाइट लम्बे क़मर से भी नीचे आते उसके बाल  पर उसके कपड़े  बहुत बहुत गंदे और बहुत पुराने लग रहे थे जो कुछ कुछ जगह फटे हुए थे  वो अभी सोए हुई ही थी आचनक से उसके ऊपर किसी ने पानी मारा और वो हड़बड़ाते हुए उठी-   ये भगवान  क्या  नर्क में भी बारिश होने लगी है अब

  वो लडकी अभी उठी बडबडा ही रही थी की उसके कानों में एक चीखती हुई आवाज पड़ी  आरी वो कर्मजलि आज क्या  नशा वसा की  है जो यहां महारानी जैसे  सो रही हैं सूरज सर पर है अभी तक खाना नही बना है   चाल उठ और जल्दी से  अपने काम में लग उसके बाद मैं तूझे  ऐसा सबक सिखाऊंगी न तेरे महारानी गिरी सब निकल  जायेगी मनहूश कही

ये कहते वो   औरत उस लड़की  के  बाल  खींचते उस छोटे से खट से  उठा  उस कमरे से  बाहर लाते वहां बने एक छोटे से किचन में जा धक्का देते  बेदर्दी से पटक दी

जिसे  उस लडकी की  चीख निकल गई   वो अभी जैसे नीद से जैसे ठीक से जागी ही नही थी की  और उसके साथ ये क्या  हो  रहा है उसे जैसे समझ ही नही आया था  पर गिराने की वजह से  उसके हाथो में  चोट आ चुके थे वो गुस्से से उस  औरत  को घूरने लगी

जिसको देखते वो   औरत उसके पास आते उसके बाल को फिर से खींचते एक थप्पड़ उसे मरते हुए बोली आंखे नीचे रख समझी और जल्दी अपना काम मेरे  बच्ची  कब से भूखे है  फिर मैं तुझे बताती ,,, इतना कहते वो औरत  वहां से चली गई

वही वो लड़की अपने बालों को पकड़ सहला रही थी उसे  जैसे समझ ही नही आया उसके साथ क्या हुआ पर वो उठते अपने सर को सहलाते इधर- उधर देखने लगी वो जहां थी वो बहुत पुराने जमाने का किचन था वो घर भी वैसा ही था झोपड़ी नुमा  मिट्टी का चूल्हा मिट्टी के सभी बर्तन और कुछ  सब्जियां  और अब कुछ बहुत पुराने जमाने के समान वो सब कुछ देखते खुद से कहने लगी ये मैं,,, कहा हूं क्या ये नर्क है वो   औरत इस नर्क रक्छाषी  ,,,, लग तो ऐसा ही रहा है  पर ये नर्क इंसानी दुनिया जैसे क्यों है ,,,, पर ये  इतना अजीब क्यों ,,,,,

तभी वो अचानक से रुकते  अपने गले  में हाथ रखते कहने लगी ये,,, ये मेरे आवाज को क्या हुआ ये इतनी  मीठी क्यो निकल रही है   तभी उसे दर्द महसूस हुआ वो  अपने हाथों के तरफ देखी जहां से  खून निकल रहा था ,,, 

पर जैसे ही वो अपने हाथ को देखी शौक हो  गई उसके हाथ दूध जैसे  गोरे और  इतने मुलायम और सॉफ्ट  thr जैसे कोई मक्खन  हो वो  अपने  हाथो को इधर - उधर घूमते देखते खुद से कहने लगी ये,,,,, ये,,,,  मेरे हाथ ,,  नही,,, नही ये मेरे  हाथ  तो  नही है  तभी उसके नजर  अपने पूरे बॉडी पर गए गए वैसे ही उसके आंखे शौक और आश्चार्य से  फैलाने लगे  थे  वो खुद से ही कहने लगी मैं,,, मैं तो अस्सी साल की थी मैं तो बुड्ढी हो चुकी थी  उसके बाद  बीमार हो कर में मार  गई तो क्या नर्क में मुझे  मेरी जवानी वापस मिल गई  पर,,, पर मैं तो अपने यंग एज में भी ऐसी नही थी  मेरा रंग तो बिल्कुल डार्क  था फिर ये दूध जैसा गोरा और मेरे बॉडी  इतना मुलायम कैसे  हो  गया ,,,,

   अयाना ,, अयाना कहा है यहां मुझे  अपना चेहरा देखना है ये कहते वो इधर - उधर देखने लागी पर उस कुछ  नजर  नही आया तभी  उसके नजर एक पानी रखे पतीले पर पड़े  वो  उस जगह जाते   जैसे ही अपना चेहरा देखी तो  जैसे बस सदमे से मरने ही वाली थी ,,,,,

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